सरयू तट
अयोध्याकड़ाके की ठंड व शीत लहरी में पतित पावनी सरयू की धारा भी अयोध्या से रूठ गई हैं। गुप्तार घाट से लेकर अयोध्या तक स्नान घाटों से दूर हुई सरयू की मुख्य धारा गोंडा जिले की सीमा से बह रही हैं। भक्त गहरे पाट में बचे पानी से आचमन व स्नान कर रहे हैं। सर्वाधिक परेशानी मोक्ष की कामना लिए धर्मनगरी में अंत्येष्टि के लिए आने वाले लोगों को हो रही है। अयोध्या नगरी के उत्तर दिशा में बह रही पतित पावनी सरयू की धारा का विशेष महत्व है। जीवन की अंतिम बेला में अयोध्या में मोक्ष की कामना लिए लोग मठ-मंदिरों में प्रवास करते हैं तो मृत्यु के बाद सरयू तट पर अंत्येष्टि के लिए आते हैं। जनवरी माह में सरयू की मुख्य धारा तेजी से सिमटने लगी है। लक्ष्मण घाट से मुख्य धारा का बहाव तेजी से पाट के बीचों-बीच होता जा रहा है।नदी की मुख्य धारा अयोध्या के घाटों से दूर हो पाट के बीच गोंडा जिले की सीमा में पहुंच गई हैं। हालांकि लक्ष्मण घाट से नदी की धारा का एक सोता सरयू पुल के पश्चिम तक आ तो रहा है लेकिन सरयू पुल के पूरब दिशा स्थित संत तुलसीदास घाट से धारा लगभग छह सौ से 700 मीटर दूर चली गई हैं।
कड़ाके की ठंड व शीत लहरी में पतित पावनी सरयू की धारा भी अयोध्या से रूठ गई हैं। गुप्तार घाट से लेकर अयोध्या तक स्नान घाटों से दूर हुई सरयू की मुख्य धारा गोंडा जिले की सीमा से बह रही हैं। भक्त गहरे पाट में बचे पानी से आचमन व स्नान कर रहे हैं। सर्वाधिक परेशानी मोक्ष की कामना लिए धर्मनगरी में अंत्येष्टि के लिए आने वाले लोगों को हो रही है।
अयोध्या नगरी के उत्तर दिशा में बह रही पतित पावनी सरयू की धारा का विशेष महत्व है। जीवन की अंतिम बेला में अयोध्या में मोक्ष की कामना लिए लोग मठ-मंदिरों में प्रवास करते हैं तो मृत्यु के बाद सरयू तट पर अंत्येष्टि के लिए आते हैं। जनवरी माह में सरयू की मुख्य धारा तेजी से सिमटने लगी है। लक्ष्मण घाट से मुख्य धारा का बहाव तेजी से पाट के बीचों-बीच होता जा रहा है।
नदी की मुख्य धारा अयोध्या के घाटों से दूर हो पाट के बीच गोंडा जिले की सीमा में पहुंच गई हैं। हालांकि लक्ष्मण घाट से नदी की धारा का एक सोता सरयू पुल के पश्चिम तक आ तो रहा है लेकिन सरयू पुल के पूरब दिशा स्थित संत तुलसीदास घाट से धारा लगभग छह सौ से 700 मीटर दूर चली गई हैं।
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