किसी ने नहीं गिराया बाबरी मस्जिद को'': कोर्ट के फैसले के बाद ट्विटर पर जमकर आए रिएक्शन

  अयोध्या 

6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के सभी 32 अभियुक्तों को आज बरी कर दिया गया. उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने कहा कि विध्वंस की न तो योजना बनाई गई थी और न ही इसमें कोई "असामाजिक तत्व" शामिल था.


6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के सभी 32 अभियुक्तों को आज बरी कर दिया गया. उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने कहा कि विध्वंस की न तो योजना बनाई गई थी और न ही इसमें कोई "असामाजिक तत्व" शामिल था. भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सभी आज इस फैसले के बाद मस्जिद गिराने की साजिश के आरोपों से बरी हो गए. अब इस फैसले पर देश भर से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

ट्विटर पर एक ट्रेंडिंग हैशटैग चलाया जा रहा है ' नो वन किल जैसिका' की तर्ज पर "नो वन डिमोलिश बाबरी" ट्रेंड कराया जा रहा है. 28 साल के इंतजार के बाद आए फैसले के बारे में कई राजनेताओं, यहां तक ​​कि अभिनेताओं ने भी ट्वीट किया. कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने फैसले को "चौंकाने वाला" बताया. कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा '' तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस विध्वंस को "कानून का घोर उल्लंघन" कहा था. यह फैसला शर्म की बात है." 

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने हिंदी में ट्वीट किया, "बाबरी मस्जिद अपने आप गिर गई." गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने बाबरी मस्जिद के बारे में तब और पिछले साल दो पत्रिकाओं की एक तस्वीर साझा की और ट्वीट किया: "1992 और 2019 ... और 2020 में: आज, वास्तव में किसी ने भी #BabriMasjid को ध्वस्त नहीं किया. जैसा कि कपिल मिश्रा वास्तव में शांति के महान दूत हैं. बाबरी विध्वंस और रथ यात्रा वास्तव में सिर्फ एक फर्जी खबर थी. 2014 से पहले की सभी मीडिया खबरें फर्जी खबरें थीं, केवल बीजेपी की मीडिया सच्चाई है.''

अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने हिंदी में ट्वीट किया, "इस जगह के ऊपर एक अदालत है, जहां प्रकाश है और अंधेरा नहीं है." फैसले के खिलाफ कई अन्य लोगों ने भी ट्वीट किया. गौरतलब है कि पिछले 28 वर्षों में, मामले ने कई मोड़ देखे हैं. 1992 में दो मुकदमे दर्ज किए गए, जो अंततः बढ़कर 49 हो गए. दूसरा मामला, एफआईआर नंबर 198 में, आडवाणी, जोशी और उमा भारती को धार्मिक भावना को भड़काने और दंगा भड़काने के लिए नामित किया था. 

बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप बहाल किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे "गैरकानूनी विनाश" कहा और कहा कि मुसलमानों को 400 साल पहले अच्छी तरह से बनाई गई एक मस्जिद से गलत तरीके से वंचित किया गया था.


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विशेष न्यायाधीश ने कहा, जिनका कार्यकाल इस फैसले के लिए बढ़ा दिया गया था, '' ढांचे को असामाजिक तत्वों ने गिराया. आरोपी नेताओं ने इन लोगों को रोकने की कोशिश की." न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सीबीआई द्वारा की गई जांच में मिले ऑडियो और वीडियो साजिश के आरोपों को स्थापित नहीं करते हैं. 


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