अयोध्या: राम मंदिर में लगने वाले सीमेंट, मिट्टी और मोरंग की होगी जांच, जानिए क्यों हो रहा है ऐसा ?
अयोध्या:
अयोध्या के रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के लिए नींव खोदने और उसे भरने में अभी समय लगेगा। राम मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से एक हजार साल तक सुरक्षित रखने के लिए हर तकनीकी पहलू पर विशेषज्ञ लगातार शोध कर रहे हैं।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर निर्माण में जिन सामग्रियों का उपयोग किया जाना है, पहले उनकी ताकत की जांच की जानी है। फिर इसके बाद उनकी ताकत अथवा क्षमता को बढ़ाने के लिए उसमें विशेष रसायनों का प्रयोग किया जाना है। इन सभी विषयों पर भी सीबीआरआई व आईआईटी चेन्नई के विशेषज्ञ शोध कार्य कर रहे हैं। उनका शोध पूरा होने के बाद ही अगले चरण में निर्माण की प्रक्रिया पर अमल हो सकेगा। उन्होंने बताया कि निर्माण में कौन सी और कहां कि गिट्टी प्रयोग होगी और कहां से मोरंग आएगी, उसका भी परीक्षण होना है।
उन्होंने जानकारी दी कि बुंदेलखंड की गिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसी तरह से बेतवा-केन नदी के मोरंग को भी सबसे अच्छा माना जाता है। फिर भी इनका परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आईआईटी, चेन्नई के विशेषज्ञों ने दस-दस टन गिट्टी व मोरंग की मांग की है जिनका परीक्षण होना है। विशेषज्ञों की मांग के अनुसार यह गिट्टी और मोरंग चेन्नई भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसी तरह से सीमेण्ट का भी परीक्षण कर बताया जाएगा कि किस स्टैंडर्ड की सीमेण्ट प्रयोग की जानी चाहिए। विशेषज्ञ सीमेण्ट की क्षमता वृद्धि के लिए रसायनों पर शोध कर रहे है। इसके बाद उनकी रिपोर्ट मिलने पर ही काम को गति दी जा सकेगी।
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