अभी शुरू नहीं हुई राम मंदिर के नींव की खुदाई, पहले पाइल फाउंडेशन की होगी टेस्टिंग
अयोध्या
श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर निर्माण के लिए नींव खुदाई अभी शुरू नहीं हुई है। नींव की 1200 पायलिंग में पहले एक पाइल (कुएं के आकार का पिलर) फाउंडेशन बनाकर 15 अक्तूबर तक टेस्टिंग का लक्ष्य है। राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र और ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंगलवार को परिसर में तीन घंटे तक एलएंडटी के इंजीनियरों के साथ हजारों साल तक अक्षुण्ण रहने वाले राममंदिर के नींव निर्माण की डिजाइन देखने के साथ सभी तकनीकी दृष्टिकोण पुख्ता करने के निर्देश दिए।
तय हुआ कि पितृपक्ष समाप्त होते ही एलएंडटी मशीनों की पूजा करके एक पाइल फाउंडेशन तैयार किया जाएगा, जिसकी सभी मानकों पर क्षमता जांचने के बाद ही नींव का निर्माण तेजी से होगा।
राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस नृपेंद्र मिश्र मंगलवार सुबह अकेले ही करीब 9:30 बजे श्रीरामजन्मभूमि परिसर पहुंच गए। वहां पहले से ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व सदस्य डॉ. अनिल मिश्र समेत एलएंडटी के परियोजना प्रबंधक वृजेश कुमार सिंह टीम के साथ मौजूद थे।
नृपेंद्र मिश्र ने नींव तैयार करने की पूरी तकनीकी जानकारी ली। उन्हें बताया गया कि डिजाइन पूरी तरह तैयार है। 60 मीटर (200 फीट) गहराई तक राममंदिर का पायलिंग फाउंडेशन होगा। 1200 पाइलिंग सीमेंट, मोरंग और गिट्टी से तैयार होगी।
यह समुद्र या नदी में पुल के फाउंडेशन जैसा होगा, लेकिन इसमें स्टील का प्रयोग नहीं होगा। कुएं के निर्माण जैसा गोलाकार सीमेंट, मोरंग और गिट्टी से भी पाइल तैयार की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार इंजीनियरों ने मौके पर निशान लगाकर पूरे परिसर का डेमो भी दिया। नृपेंद्र मिश्र ने इस दौरान गर्भगृह के दर्शन भी किए। साथ ही गर्भगृह की लंबाई-चौड़ाई के साथ पुराने राममंदिर के डायग्राम में बढ़ाए गए गूढ़ मंडप व इसके दाएं-बाएं कीर्तन व प्रार्थना मंडप को देखा।
फिर गर्भगृह की सीध में रंगमंडप, नृत्यमंडप और सबसे अग्र भाग में सिंहद्वार कहां होगा, इसकी जानकारी ली। भक्तों की परिक्रमा के लिए मंदिर के चारों ओर 14 मीटर चौड़े कॉरिडोर के साथ करीब ढाई एकड़ के मूल मंदिर निर्माण का दूना हिस्सा करीब पांच एकड़ में तैयार होने नींव की पायलिंग के लिए निशान देखा।
ट्रस्ट के महासचिव ने परिसर में जर्जर पड़े मंदिरों के तोड़े जाने की जानकारी देते हुए मौके पर दिखाया भी। इनमें स्थित आराध्य को पुन:स्थापित करने की रणनीति बताई। उन्हें राममंदिर तक पहुंचने वाले छह लेन के मुख्य मार्ग की लोकेशन भी दिखाई।
परिसर में प्रवेश व निकास द्वार से लेकर कई प्रकल्प व बेहतर जनसुविधाओं के विकास की योजना की जानकारी देते हुए मंदिर परिसर को सोलर ऊर्जा के साथ हरियाली, इको फ्रेंडली बनाने की रणनीति बताई। साथ ही पेड़-पौधों के चयन में धार्मिकता का ध्यान रखने की बात कही।
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