World toursim day 2020: संवर रही अयोध्‍या, क्‍या तैयार हैं हम

 अयोध्या  सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो 2030 तक अयोध्या देश की सबसे बड़ी धार्मिक पर्यटन नगरी होगी। अनुमान है कि 10 साल में अयोध्या में हर साल आने वाले पर्यटकों की संख्या 1.70 करोड़ से बढ़कर सवा पांच करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। लेकिन क्या रामनगरी अयोध्या के इस विकास का लाभ उनसे जुड़े  गोरखपुर-बस्ती मंडल के पर्यटन उद्योग को भी मिलेगा। विशेषज्ञों की राय में बिल्कुल ऐसा होगा ही लेकिन तभी जब हम पूरी शिद्दत से खुद को इसके लिए तैयार करेंगे। तो आइए जानते हैं कि इस तैयारी का मतलब क्या है
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.शरद श्रीवास्तव कहते हैं कि राममंदिर बनने का फायदा पूरे पूर्वांचल को मिलेगा। रामजानकी मार्ग ही नहीं गोरखपुर-बस्ती मंडल के तमाम धार्मिक स्थल, आश्रम और श्रद्धा के केंद्र फोकस में आ जाएंगे। यह एक कारीडोर की तरह होगा। हमें इस मौके का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना है। वहीं पुरातत्व सर्वेक्षण के काम को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए। हमारे यहां बहुत से ऐसे स्थान हैं जिनकी ऐतिहासिकता सामने आनी बाकी है। उदाहरण के लिए पुरातत्ववेत्ता कृष्णानंद त्रिपाठी का दावा है कुछ साल पहले मखौड़ा के बगल में स्थित गोयरा जरवल गांव में एक व्यक्ति को एक मूर्ति मिली थी। उसने उसे विष्णु की मूर्ति माना लेकिन असल में वह अग्निदेव की मूर्ति थी। मूर्ति मिलने की सूचना पर कृष्णानंद गोरया जरवल गए थे लेकिन उस व्यक्ति ने मूर्ति दिखाने या फोटो खींचने से मना कर दिया। कृष्णानंद त्रिपाठी का कहना है कि उस मूर्ति की प्राचीनता का अध्ययन कराकर यदि कोई एेतिहासिक महत्व हो उसे मखौड़ा में स्थापित करना चाहिए। 

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