राम मंदिर निर्माण: टेस्ट पाइलिंग के लिए एक दर्जन स्तम्भ बनकर तैयार
अयोध्या
राममंदिर निर्माण के लिए प्रथम तल के पत्थर तराशने का कार्य पूरा हो चुका है, बाकी पत्थरों की तराशी का कार्य रामजन्म भूमि परिसर में ही होगा। लिहाजा कार्यशाला से पत्थरों को परिसर तक ले जाने की कवायद तेज हो गई है।
कार्यशाला में तराशे गए हैं पत्थर
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर की नींव के फाउंडेशन का निर्माण 15 अक्तूबर के करीब शुरू हो जाएगा। कार्यदाई संस्था एलएण्डटी के विशेषज्ञों की मानें तो नींव के फाउंडेशन का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य जून 2021 तय किया गया है। इसके अन्तर्गत 13 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में एक मीटर व्यास के 12 सौ स्तम्भ सौ फिट गहराई में कंक्रीट गला कर बनाए जाएंगे।
इसके पहले 30 सितम्बर तक टेस्ट पाइलिंग के अन्तर्गत प्रस्तावित एक दर्जन स्तम्भ का निर्माण पूरा हो गया है। करीब सौ मीटर की दूरी पर एक सीध में चार-चार स्तम्भों के तीन सेट तैयार किए गये हैं। अब इसकी क्षमता का परीक्षण होना है जिसके लिए आईआईटी, चेन्नई के विशेषज्ञों का इंतजार हो रहा है।
टेस्टिंग के बाद विशेषज्ञों की हरी झंडी मिलते ही मूल फाउंडेशन का काम शुरू हो जाएगा। कार्यदाई संस्था के सूत्रों का कहना है कि नींव का कार्य बहुत पेंचीदा है क्योंकि राम मंदिर को हजार साल तक अक्षुण्ण रखने के लिए इसके अनेक तकनीकी पहलुओं का परीक्षण होना है। इस दौरान प्रयुक्त सामग्रियों की क्षमता के साथ प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने का सामर्थ्य भी देखना जरूरी है। यही कारण है समय लग रहा है। पुन: जब मूल मंदिर के ढांचे को खड़ा करना होगा तो उस कार्य में अपेक्षाकृत काफी कम समय लगेगा। राम मंदिर के भूतल व प्रथम तल पर लगने वाले पत्थरों की तराशी तो पहले ही हो चुकी है। नींव का कार्य होने के बाद तराशे गये पत्थरों को यथास्थान पर सेट ही करना है। फिर ढांचा खड़ा होने के बाद फिनिशिंग में थोड़ा अतिरिक्त समय लगेगा।
90 के दशक से कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों को ले जाने के रोड मैप तैयार कर लिया गया है, इसके लिये दो रास्तो का चयन भी हो चुका है। इस संबंध में वीएचपी के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर तक पत्थरों को पहुंचाने के लिये दो रास्ते चुने गये गये हैं, जिनमें पहला रास्ता लगभग 4 किमी लम्बा है, जो नयाघाट होते हुये परिसर तक जाएगा तो वहीं दूसरा रास्ता लगभग 5 किमी लंबा है जो परिक्रमा मार्ग से होते हुये परिसर तक जाएगा।
मुख्य परिसर में ही कार्यशाला बनाने की मांग
उन्होंने बताया कि एक रास्ते पर दिन के समय में भीड़भाड़ रहती है, तो दूसरे रास्ते पर भीड़ न के बराबर रहती है। उन्होंने बताया कि अब ट्रस्ट को तय करना है कि किस रास्ते से पत्थरों को परिसर तक ले जाने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि 90 के दशक से वीएचपी की कार्यशाला में पत्थरों की तराशी का काम चल रहा था और लगभग एक मंजिल का काम पूरा हो चुका है, और अब राममंदिर निर्माण शीघ्रता चाहिए तो परिसर के अंदर ही कार्यशाला का निर्माण होना चाहिये।
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