राम मंदिर के टेस्ट पिलर्स की कई स्तर पर हो रही लोड टेस्टिंग, 8 माह बाद ही शुरू होगा पत्थरों का काम
नींव के टेस्ट पिलर्स की टेस्टिंग कई स्तर पर मशीन से लोड डाल कर की जा रही है। अभी और गहराई तक टेस्ट पिलर्स पर मशीन से लोड डाल कर टेस्टिंग की जाएगी। बताया गया कि अभी केवल तीन पिलर्स पर 40, 60 और 80 फीट तक लोड डाल कर टेस्टिंग की गई है। इस काम में और समय लग सकता है।
राम मंदिर के नींव के टेस्ट पिलर्स की टेस्टिंग कई स्तर पर मशीन से लोड डाल कर की जा रही है। अभी और गहराई तक टेस्ट पिलर्स पर मशीन से लोड डाल कर टेस्टिंग की जाएगी। बताया गया कि अभी केवल तीन पिलर्स पर 40, 60 और 80 फीट तक लोड डाल कर टेस्टिंग की गई है। इस काम में और समय लग सकता है।
मंदिर आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा के मुताबिक सरयू नदी की धारा को ध्यान मे रख कर 200 फीट गहराई तक की लोड टेस्टिंग की जा सकती है। यह कार्य आईआईटी की टीम कर रही है। नींव की मजबूती पर ही 1000 साल तक मंदिर टिेक सकेगा। ऐसे में इसकी लोड टेस्ट रिपोर्ट ओके होने के बाद ही मंदिर के 1200 पिलर्स का निर्माण शुरू होगा। मंदिर के आर्किटेक्ट निखिल सेामपुरा ने बताया कि पत्थरों का काम 7-8 महीने के बाद शुरू हो सकेगा क्योंकि नींव के टेस्ट पिलर्सं की लोड टेस्टिंग और 1200 मंदिर के नींव के पिलर्स के तैयार होने में करीब 8 माह का समय लगेंगा।
पत्थरों की कमी होगी पूरी
सोमपुरा के मुताबिक पहले और दूसरे फ्लोर के लिए करीब सवा तीन लाख घनफीट पत्थरों की और जरूरत पड़ेगी। इसकी खरीद राजस्थान की भरतपुर की खादान से होनी है, जिसके लिए वार्ता चल रही है। इसमें कोई बाधा नहीं आएगी। पहले चरण में कार्यशाला में तराश कर रखे गए ग्राउंड फ्लोर के पत्थरों से काम शुरू कर दिया जाएगा।
टाटा कंसल्टेंसी कंपनी मैनेजमेंट लीडर की भूमिका में
उन्होंने बताया कि टाटा कंपनी मंदिर के प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट कंसेलटेंट (पीएमसी) के तौर पर काम कर रही है। पूरे प्रॉजेक्ट में मैनेजमेंट का काम टाटा कंपनी ही देखेगी। मंदिर ट्रस्ट ने इसको निर्माण का तकनीकी परीक्षण, मैटेरियल, इसकी क्वालिटी, उसकी टेस्टिंग, बिलिंग निर्माण आदि की तकनीकी परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं एलएंडटी मंदिर निर्माण में वेंडर की भूमिका में काम कर रही है। पिलर्स पाइलिंग में प्रयेाग लाए जाने वाले मैटरियल की मजबूती कितनी होगी। इसका भी टाटा कंपनी ही फाइनल टेस्ट करेगी।
पत्थरों की कमी होगी पूरी
सोमपुरा के मुताबिक पहले और दूसरे फ्लोर के लिए करीब सवा तीन लाख घनफीट पत्थरों की और जरूरत पड़ेगी। इसकी खरीद राजस्थान की भरतपुर की खादान से होनी है, जिसके लिए वार्ता चल रही है। इसमें कोई बाधा नहीं आएगी। पहले चरण में कार्यशाला में तराश कर रखे गए ग्राउंड फ्लोर के पत्थरों से काम शुरू कर दिया जाएगा।
टाटा कंसल्टेंसी कंपनी मैनेजमेंट लीडर की भूमिका में
उन्होंने बताया कि टाटा कंपनी मंदिर के प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट कंसेलटेंट (पीएमसी) के तौर पर काम कर रही है। पूरे प्रॉजेक्ट में मैनेजमेंट का काम टाटा कंपनी ही देखेगी। मंदिर ट्रस्ट ने इसको निर्माण का तकनीकी परीक्षण, मैटेरियल, इसकी क्वालिटी, उसकी टेस्टिंग, बिलिंग निर्माण आदि की तकनीकी परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं एलएंडटी मंदिर निर्माण में वेंडर की भूमिका में काम कर रही है। पिलर्स पाइलिंग में प्रयेाग लाए जाने वाले मैटरियल की मजबूती कितनी होगी। इसका भी टाटा कंपनी ही फाइनल टेस्ट करेगी।
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